Description

दत्ता’ एक ऐसी युवती विजया की मर्मस्पर्शी कथा है, जो अपने पिता की इकलौती पुत्री होने के नाते उन की जमींदारी की मालकिन तो है, मगर पिता के धूर्त मित्र और उस के पुत्र के हाथों की कठपुतली बन कर रह गई है।
‘दत्ता’ के माध्यम से भारतीय साहित्यकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने नारी को निरीह एवं दयनीय स्थिति से उबारने का प्रयास किया है, जिस में उन की रोमानी प्रवृत्ति भी सहज ही दिखाई देती है।
संभवतया इसी कारण शरतचंद्र भारतीय रचनाकारों में अपेक्षाकृत अधिक लोकप्रिय रहे हैं। उन की लोकप्रियता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि उन की रचनाओं का भारतीय ही नहीं, विश्व की प्रायः सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
सभी वर्ग के पाठकों के लिए बांग्ला से सुबोध, रोचक एवं सरल हिंदी में रूपांतरित पठनीय एवं संग्रहणीय उपन्यास।

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